Saturday, August 29, 2015

बिना दुर्घटना के सकुशल और सुरक्षित परिवहन

29-अगस्त-2015 16:54 IST

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया सुरक्षा बढ़ाने पर ज़ोर 
रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभू का “मेनलाइन, मैट्रो और हाई स्पीड ट्रांजिट सिस्टम के लिए कमांड, नियंत्रण और संचार प्रणालियों के क्षेत्र में अग्रणी” पर अंतर्राष्ट्रीय रेलवे सम्मेलन के समापन सत्र में संबोधन
नई दिल्ली: 29 अगस्त 2015: (PIB):
“मेनलाइन, मैट्रो और हाई स्पीड ट्रांजिट सिस्टम के लिए कमांड, नियंत्रण और संचार प्रणालियों के क्षेत्र में अग्रणी” पर दो दिन का अंतर्राष्ट्रीय रेलवे सम्मेलन आज सम्पन्न हो गया है। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभू ने समापन सत्र को संबोधित किया। रेलवे ने भारतीय रेल सिगनल इंजीनियरिंग और दूरंसचार संस्थान (आईआरएसटीई) (भारत) तथा रेलवे सिगनल इंजीनियर संस्थान (आईआरएसई) (भारतीय सेक्शन) के सहयोग इसका आयोजन से किया था।

इस सम्मेलन की शुरूआत कल रेवले बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए के मित्तल और सदस्य (विद्युत) श्री नवीन टंडन के महत्वपूर्ण भाषण के साथ हुई थी। इस कार्यक्रम में अतिरिक्त सचिव (सिग्नल) श्री एस मनोहर, अतिरिक्त सचिव (दूरसंचार) श्री के एस कृष्ण कुमार, आईआरएसटीई और सीएओ/ आईआरपीएमयू के सचिव श्री कुंदन चौधरी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभू ने कहा कि किसी भी परिवहन संगठन का मुख्य जोर बिना दुर्घटना के सकुशल और सुरक्षित परिवहन पर होना चाहिए। भारतीय रेल को “दुर्घटना बिना मिशन (जीरो एक्सीडेंट मिशन)” शुरू करने की आवश्यकता है। इसके लिए कम लागत की अग्रणी प्रौद्योगिकी और उचित प्रशिक्षित व्यक्तियों को शामिल कर समेकित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल में सकुशल और सुरक्षित परिचालन के वातावरण के लिए कमांड, नियंत्रण और संचार की अग्रिम प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, ताकि मानवीय त्रुटि की स्थिती में भी दुर्घटना न हो। 

मंत्री महोदय ने मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर दुर्घटनाएं रोकने के लिये आने वाली रेलगाडियों और मार्ग में रुकावट के बारे में उचित संकेत जैसी प्रौद्योगिकियां विकसित करने पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि ऐसे सम्‍मेलनों में वैश्‍विक संदर्भ मानकों पर ध्‍यान केंद्रीत करना चाहिये और वैश्‍विक मानकों पर हमारी क्षमता का मूल्‍यांकन किया जाना चाहिये। भारतीय रेल के अनुकूल देश में ही कम लागत की प्रभावी प्रणालियां विकसित करने की कोशिश करनी चाहिये। उन्होंने विदेशी प्रतिनिधियों और कंपनियों से भारत में आकर सहयोग और निर्माण करने का अनुरोध भी किया। भारत में कुशल लोग, बड़ा बाजार और बड़ा निर्माण आधार है। अंतर्राष्ट्रीय खपत के अलावा ऐसे निर्माण केंद्रों के पास निर्यात की क्षमता भी होनी चाहिए। 

अंत में मंत्री महोदय ने कहा कि भारतीय रेल का “जीरो एक्सीडेंट मिशन” निश्चित समयावधि में पूरा होना चाहिए। 

रेल सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार में यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और लाइन क्षमता के साथ साथ रेलगाड़ियों की जानकारी देने के लिए कम लागत की कई प्रकार की प्रौद्योगिकियां हैं ताकि यात्रियों की यात्रा सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो। सिग्नलिंग और दूरसंचार परिसम्पत्तियों के लिए आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत भारतीय रेल ने संकेत प्रणाली का केंद्रीकृत परिचालन, इलेक्ट्रानिक इंटरलोकिंग, एलईडी संकेत, एक्सल काउंटर द्वारा प्रदान ब्लॉक जैसे आधुनिक एस एण्ड टी समाधान अपनाए हैं। खतरे में संकेत पार करने (एसपीएडी) और तेज रफ्तार की घटनाओं को रोकने के लिए चयनित गलियारों पर पायलट परियोजना के रूप में यूरोपिय रेल नियंत्रण पद्धति (ईटीसीएस एल-1) पर आधारित रेल सुरक्षा एवं चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्ल्यूएस) सफलता पूर्वक लागू की गई है और अधिक आवाजाही के उपनगरीय सेक्शनों पर भी इसे लागू करने की योजना है। भारतीय रेल स्वचालित रेल सुरक्षा के लिए कम लागत से देश में ही रेल टक्कर रोकने की प्रणाली (टीसीएस) विकसित करने की प्रक्रिया में है। 

इस सम्मेलन से प्रतिभागियों, सिग्नलिंग और दूरसंचार से जुड़े लोगों सहित विभिन्न देशों के इफ्ट्रॉनिक्स, आरटी विजन, राइलेल, ह्यूवेई, टेक्नोसेटकोम, सीमन्स, थेल्स, हिताची, फ्राउशर, इएमसी जैसे औद्योगिक और अनुसंधान क्षेत्र के प्रतिनिधियों को तकनीकीयों, आवश्यकताओं तथा भविष्य की प्रणालियों की परिकल्पना के बारे में जानने का मौका मिला। 2 दिन के सम्मेलन में करीब 20 जाने माने वक्ताओं ने निम्नलिखित विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।

• मेनलाइन और मेट्रो पर संकेत प्रचलन- मेक इन इंडिया के लिए अवसर

• मेनलाइन, मेट्रो और उच्च गति प्रणालियों के लिए आधुनिक नियंत्रण, कमांड और दूर संचार प्रौद्योगिकीयां

• इटीसीएस, सीबीटीसी जैसे उन्नत स्वचलित रेल सुरक्षा प्रौद्योगिकीयां

• उच्च उपलब्धता प्रणालियां और स्मार्ट संकेत प्रणालियां

• भारतीय रेल पर केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण प्रणाली

• भारतीय रेल में इलेक्ट्रानिक इंटरलोकिंग अपनाने में चुनौतियां और उनके संभावित समाधान

• भारतीय रेल में रेल प्रबंधन प्रणाली

• कोलकाता मेट्रो पर सिग्नलिंग 

• आधुनिक रेल आवागमन और आवागमन में सुरक्षा सुनिश्चित करना

• ज्ञान और कौशल विकास के जरिये सशक्तिकरण

सम्मेलन के दौरान नियंत्रण, कमांड और दूरसंचार क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों और सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकताओं, आत्मनिर्भरता और लाइन क्षमता बढ़ाने, विश्व में उपलब्ध प्रौद्योगिकीयों तथा ज्ञान और कौशल विकास के जरिये सशक्तिकरण के बारे में सामने आए परिणामों पर स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान किया गया। (PIB)
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एमके/सीएस-4296

Friday, July 31, 2015

गंगा राम अग्रवाल ने संभाला रेलवे बोर्ड में नये सचिव का पदभार

31-जुलाई-2015 20:48 IST

कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं गंगा राम अग्रवाल 
नई दिल्ली: 31 जुलाई 2015: (पीआईबी//रेल स्क्रीन ब्यूरो):
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की भारतीय रेल सेवा (आईआरएसईई) के एक अधिकारी श्री गंगा राम अग्रवाल को रेलवे बोर्ड में नये सचिव का पदभार सौंपा गया है। उन्‍होंने श्री पी.सी. गजभइये के स्‍थान पर पदभार संभाला है, जो 31 जुलाई, 2015 को सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं। यह पदभार ग्रहण करने से पहले श्री जी आर अग्रवाल मध्‍य रेलवे में मुख्‍य विद्युत अभियंता थे।


आईआईटी रुड़की से स्‍नातक श्री अग्रवाल ने जर्मनी के डर्मस्‍टैड स्थित एप्लायड साइंसेज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्‍नातकोत्‍तर किया और वह वर्ष 1981 में आईआरएसईई से जुड़े। उन्‍होंने वित्‍त प्रबंधन में एमबीए भी किया।
श्री अग्रवाल ने उत्‍तर रेलवे, आरडीएसओ/लखनऊ, रेलवे बोर्ड, उत्‍तर-पश्चिम रेलवे, पश्चिम रेलवे और मध्‍य रेलवे में विभिन्‍न पदों पर काम किया। वह उत्‍तर-पश्चिम रेलवे के जयपुर डि‍वीजन में संभागीय रेल प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। उन्‍होंने दक्षिण मध्‍य रेलवे और मध्‍य रेलवे में मुख्‍य विद्युत अभियंता के पद पर काम किया। (PIB)                                     गंगा राम अग्रवाल ने संभाला रेलवे बोर्ड में नये सचिव का पदभार 
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वीजी/वीएल/आरआरएस/एसके-3852

Wednesday, May 13, 2015

रेल में ही टिकट मिलने का सिलसिला शुरू

लम्बी लाईन से मिलेगी निजात-रेल सूत्रों के हवाले से हुआ खुलासा 
लुधियाना: 13 मई 2015:(रेल स्क्रीन ब्यूरो):
रेल यात्रा को सुविधजनक बनाने के लिया जो कदम बहुत पहले उठा लिए जाने चाहिए थे लगता है अब उनकी शुरुआत हो चुकी है। हमारे सक्रिय मित्र राजीव मल्होत्रा ने पंजाब स्क्रीन के वॉटसअप ग्रुप पर एक महत्वपूर्ण जानकारी पोस्ट की है। 
☀special coverage/रेल यात्रियों के लिए/इस शीर्षक से उन्होंने बताया कि अब टिकट में मिलेगी राहत: 
👉एक तरफ टिकट काउंटर पर लंबी लाइन और दूसरी ओर प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन। टिकट लेना भी जरूरी है मगर इस फेर में ट्रेन छूटने की टेंशन भी है। ऐसी दुविधा लगभग हर यात्री के सामने अक्सर आती है।
👉अब ये दिन गए, ऐसे दिन आ रहे हैं जो यात्रियों के लिए टिकट के मामले में बेहद राहत भरे हैं। उन्हें टिकट विंडो पर लंबा इंतजार नहीं करना होगा। ट्रेन का टिकट ट्रेन में ही मिल जाएगा। फिलहाल, सुपरफास्ट ट्रेनों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। जल्द ही बाकी ट्रेनों में भी यही व्यवस्था होगी। इसके लिए टीटीई को टिकट शीन (हैंड-हेल्ड) मिलनी शुरू हो चुकीं हैं।
👉रेलवे ने प्रथम चरण में सुपरफास्ट ट्रेन लखनऊ मेल, गरीब रथ, अर्चना सुपरफास्ट, राजधानी सुपरफास्ट आदि के टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी है। मशीन रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) सर्वर से कनेक्ट रहेगी। इससे ट्रेन के हर कोच में खाली बर्थ और किस स्टेशन पर मुसाफिर उतरेगा, इसकी जानकारी मिलती रहेगी।
👉बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ने वाले यात्री सीधे टीटीई से मिलेंगे। तय किराये से दस रुपये अतिरिक्त लेकर टीटीई इसी मशीन से टिकट देंगे। इसके अलावा मशीन के जरिये ही वेटिंग टिकट वाले मुसाफिरों को बर्थ खाली होते ही मिल जाएगी।
👉टीटीई की मनमानी होगी खत्म
ट्रेन छूटने की जल्दी में सवार होने वाले मुसाफिरों से टीटीई और स्क्वायड के सिपाही मनमाना जुर्माना एवं रुपयों की वसूली करते हैं। इसके साथ ही वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को बर्थ न होने की बात कहकर बर्थ नहीं देते थे। मगर हैंड-हेल्ड मशीन से यात्री भी अपनी बर्थ की पोजीशन देख सकेंगे।

👉ट्रेन में चढ़ते ही टीटीई को बताना होगा~~यात्री को ट्रेन में सवार होते ही टीटीई को बताना होगा कि उसने टिकट नहीं लिया है। मशीन से टिकट बनवाना है। चेकिंग के दौरान यदि टीटीई ने बिना टिकट पकड़ा तो जुर्माना पड़ेगा। इसीलिए टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी जा रही हैं। सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्री सवार होने के बाद भी टीटीई से टिकट ले सकेंगे।

- नीरज शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर रेलवे। 

Wednesday, February 18, 2015

सरकार ने कसा ट्रेड यूनियनों पर शिकंजा--नहीं कर सकेंगे हड़ताल

लुधियाना रेलवे स्टेशन पर NRMU ने किया तीखा विरोध
लुधियाना: 18 फ़रवरी 2015:  (रेक्टर कथूरिया//रेल स्क्रीन):
केंद्र सरकार की तरफ से गत रात जारी आदेशों के मुताबिक अब कोई भी ट्रेड यूनियन हड़ताल नहीं कर सकेगा। आपात काल की याद दिलाने वाले इस आदेश के विरोध में आज NRMU ने रेलवे स्टेशन के मुख्य गेट पर ज़ोरदार रोष रैली करके जवाबी चेतावनी दी कि हम अपने इस अधिकार को कदाचित नहीं छोड़ेंगे। कामरेड कुलदीप राय की अध्यक्षता में हुई इस रोष रैली में कामरेड दलजीत सिंह ने रेल स्क्रीन से एक भेंट के दौरान बताया कि वास्तव में मोदी सरकार सभी सरकारी विभागों-खासकर रेलवे के निजीकरण का फैसला कर चुकी है। रेलवे में 100  फ़ीसदी एफ़ डी आई का फैसला भी हो चुका है। सरकार की नीतियों के खिलाफ रेल मुलाज़िम देश के पांच प्रमुख ट्रेड यूनियन संगठन सरकार के इस इरादे के खिलाफ संघर्ष करेंगे। देश भर में हो रहे इस विरोध में 120 अन्य मुलाज़िम संगठन भी शामिल हैं। इस संघर्ष का बिगुल बजाते हुए कामरेड कि  28 फ़रवरी को NRMU की तरफ से संसद के सामने विशाल रोष प्रदर्शन होगा और 28 अप्रैल को फिर दस लाख वर्कर एकजुट होकर राष्ट्रव्यापी रोष व्यक्त करेंगे। उसी दिन राष्ट्रव्यापी हड़ताल आह्वान भी होगा। हड़ताल अधिकार को जनता कभी छिनने नहीं देगी। 
इसके साथ ही उन्होंने दोहराया कि कल 17 फ़रवरी को रेलगाड़ी को दो घंटे तक रोके रखने का फैसला रेल प्रशासन का था लेकिन अब इसे हमारे सर पर मढ़ कर हमारे ही खिलाफ कार्रवाई की जो साज़िश चल रही है उसे हम सफल नहीं होने देंगें। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार और रेल प्रशासन ऐसी हरकतों से इस रेल मंडल की शांति भंग न करे। अगर यह हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी DRM फिरोज़पुर की होगी। 
इस मौके पर कामरेड परमजीत सिंह, शोक कुमार, घनश्याम सिंह,राज कुमार सूद, महिंदरपाल, वरिंदर वीरू, सुखजिंदर सिंह और गौरव इत्यादि भी मौजूद थे।

लुधियाना रेलवे स्टेशन पर हंगामा--NRMU का ज़ोरदार प्रोटेस्ट

Tuesday, February 17, 2015

लुधियाना रेलवे स्टेशन पर हंगामा--NRMU का ज़ोरदार प्रोटेस्ट

करीब 3 घंटे तक रुकी चंडीगढ़ जाने वाली ट्रेन-यात्री बेहाल और गाड़ी खाली 
लुधियाना: 17 फ़रवरी 2015:(रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
चंडीगढ़ राज्य की राजधानी होने के कारण तकरीबन सभी कार्यों का सरकारी केंद्र भी है। चंडीगढ़ जाये बिना शायद किसी भी नागरिक का गुज़ारा नहीं। चंडीगढ़  बहुत देर से एक ही रास्ता था सड़क का रास्ता। वहां उस अत्यंत व्यस्त रुट पर चलती हैं कुछ ख़ास लोगों की बसें। सुना है कुछ सियासी और कारोबारी घरानों ने अपने मुनाफे को बनाये लिए इस रुट परबार बार घोषणा और वायदों के बावजूद रेल लाईन नहीं बिछने दी।  आखिरकार 2011 में साहनेवाल के रास्ते चंडीगढ़ जाने वाली लाईन बिछी तो आम लोग बहुत खुश हुए लेकिन ऊँठ का होंठ नहीं गिरा। लाईन बिछी, घोषणाएं जारी रहीं लेकिन गाड़ी नहीं चली। जब देश में आई मोदी सरकार तो  कहीं जा कर शुरू हुयी चंडीगढ़ जाने वाली रेल ट्रैक पर रेल गाड़ी। फायदा हुआ अमृतसर, लुधियाना, जालंधर के साथ साथ फिरोज़पुर और फाजिल्का तक के इलाकों में  लोगों को भी। जल्द ही इस फायदे को नज़र लगने लगी। इसका अहसास एक बार फिर हुआ लुधियाना रेलवे स्टेशन पर उस समय जब फिरोज़पुर से आई और चंडीगढ़ को जाने वाली रेल गाड़ी को। इसे रोकने का तरीका और बहन इतना पेचीदा की ट्रेन रुकने पर भी किसी को समझ नहीं आया कि इसे किस ने और क्यों रोका ?
आम जनता से भी हुयी बहस
ड्राईवर गाड़ी के डीज़ल इंजन में थे। कागज़ पत्रों पर डयुटी के आवश्यक हस्ताक्षर तक हो चुके थे। गाड़ी को लेजाने वाली पावर भी ट्रैक पर थी और गाड़ी  जोड़ा जा चुका था लेकिन रेल प्रशासन ने अचानक फरमान जारी किया कि इसे लुधियाना के  डवीयन के ड्राईवर लेकर जाएंगे वरना गाड़ी यहीं रुकेगी।
यह आदेश नियमों को ताक पर रख कर दिया गया था और फिरोज़पुर डवीयन के अधिकारों पर सीधा कुठाराघात भी। यह एक डवीयन के कार्यक्षेत्र में दूसरी डवीयन का अनाधिकृत हस्तक्षेप भी बनता था। इसके विरोध में खुल कर सामने आई NRMU और सभी यूनियन के सभी सदस्य लुधियाना रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-8 पर पहुँच गए। रेल मुलाज़िमों के इस खाड़कू संगठन ने स्पष्ट कहा कि हम अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे। इस टकराव  NRMU ने अपने ड्राईवरों को ट्रेन में बिठाये रखा और रेल प्रशासन से बार बार कि गाड़ी को जाने दो और हमसे बैठ कर नियमों की बात करो। बार बार कहने के बावजूद रेल प्रशासन अपनी ज़िद पर अड़ा रहा। जब एक घंटे के बाद गाड़ी खाली हो गई तो रेल प्रशासन के लोगों में से किसी   कहा--अब गाड़ी तो खाली हो गयी।  अब गाड़ी भरो। इस पर मुलाज़िमों और दैनिक यात्रियों ने फिर नारेबाजी की। गुस्से में आए डेली पैसंजरों ने एक और गाड़ी के सामने धरना दिया।
मीडिया से भी उलझन
इस रोष को देख कर गुस्से में आये सुरक्षा बलों ने उनको भी अपना हाथ दिखाया और खदेड़ दिया।  मीडिया  भी सुरक्षा  नोक झौंक चलती रही। बी तीन घंटे के बाद डीटीएम ने अपनी गलती मानी और रेल मुलाज़िमों से समझौता कर लिया। रेल मुलाज़िमों के सक्रिय नेता कामरेड दलजीत सिंह ने कहा कि अगर इसी गलती को पहले मान कर सहमति कर ली जाती तो बहुत से मुसाफिरों का समय बच जाता।
उन्होंने कहा कि अब हमारी यूनियन मुसाफिरों की भलाई के लिए उनके साथ मिलकर एक तालमेल कमेटी भी बनाएगी। इसी बीच सुरक्षा बलों के एक अधिकारी ने यात्रिओं से की गयी सख्ती पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि हमारी हालत तो दांतों में जीभ जैसी है।  अगर हम गाड़ी के इंजन पर चढ़े लोगों को नहीं खदेड़ते तो उन्हें ऊपर से गुज़र रही तार से करेंट का डर और अगर अगर अब उतरा है तो हम पर ही सख्ती  लग रहे हैं। दूसरी तरफ मीडिया का कहना था कि हिम्मत है तो यूनियन पर हाथ डालो रोज़ी रोटी  में परदेसी हुए डेली पैसेंजरों पर गुस्सा क्यों?
अब सोचने वाली बात यह है कि जो मुसाफिर निराश और हताश हो कर रेल गाड़ी को छोड़ कर बसों की तरफ चले गए उनका रेल से उठता विश्वास कौन बहाल करेगा? इससे जो घाटा रेल को पड़ा उसकी भरपाई करेगा? रेल  विभाग में कुछ असरदायिक लोगों के बस मालिकों से मिले होने के आरोपों की जाँच कौन करवाएगा? इस   तरह बहुत से सवाल हैं जो अपना जवाब चाहते हैं। इस मौके पर कामरेड परमजीत सिंह, अशोक कुमार, घनश्याम सिंह,राज कुमार सूद, महिंदरपाल, वरिंदर वीरू, सुखजिंदर सिंह और गौरव इत्यादि बहुत  सदस्य भी मौजूद थे।  तकरीबन तीन घंटे तक चले इस ड्रामे के बाद NRMU की एक विशेष मीटिंग यूनियन  जगराओं पल  कार्यालय में हुयी जिसमें सारे मामले पर विचार विमर्श करने  अगली रणनीति तय की गयी।

 सरकार ने कसा ट्रेड यूनियनों पर शिकंजा--नहीं कर सकेंगे हड़ताल