Saturday, August 17, 2013

यह है भारतीय रेल का गौरवपूर्ण करिश्मा

16-अगस्त-2013 15:59 IST
पूरी दुनिया की जनसंख्‍या के बराबर यात्रियों को सफर कराया
                                                          रेलवे की उपलब्धियों पर विशेष लेख 
जहां तक यात्रियों की संख्‍या का संबंध है भारतीय रेल प्रति वर्ष पूरी दुनिया की जनसंख्‍या के बराबर यात्रियों को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक ले जा कर विश्‍व में सर्वश्रेष्‍ठ रेल बन गई है। यह वर्ष 2012-13 में लगभग 1010 मिलियन टन सामान की ढुलाई कर के अमरीका, चीन, रूस के बाद चुनिन्‍दा बिलियन टन क्‍लब की चौथी सदस्‍य भी बन गई है। भारतीय रेल विश्‍व में तीसरी सबसे बड़ी रेल प्रणाली है। इसके पास परिसंपत्ति आधार 65,187 रूट किलोमीटर, 9,000 लोकोमोटिव, 53,000 या‍त्री डिब्‍बे और 2.3 लाख वैगन हैं। भारतीय रेल की आज प्रतिदिन 19,000 से अधिक रेल चलती हैं, जिनमें 12,000 यात्री ट्रेन और 7,000 मालगाडि़यां हैं, जो 1.4 मिलियन कर्मचारियों के समर्पित कार्यबल के प्रयासों से 8 बिलियन से अधिक यात्रियों और 1,000 मिलियन टन से अधिक माल की प्रति वर्ष ढुलाई करती हैं।
वर्ष 1950 के बाद से भारतीय रेल के नेटवर्क आकार (रूट किलोमीटर) में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसकी कुल ट्रैक किलोमीटर दूरी लगभग 50 प्रतिशत वृद्धि से 70,000 किलोमीटर बढ़कर 1,15,000 किलोमीटर हो गई है। ऐसा क्षमता विस्‍तार के लिए भारतीय रेल की यूनीगेज नीति के अधीन गेज रूपान्‍तरण और वर्तमान लाइनों का दोहरीकरण पर जोर दिये जाने के कारण हुआ। भारतीय रेल की 12वीं योजना में अधिक अभिवृद्धि अर्जित करने के लिए क्षमता विस्‍तार हेतु 4,000 किलोमीटर नयी लाइन जोड़ने, 5,500 किलोमीटर गेज रूपान्‍तरण, 7,653 किलोमीटर दोहरीकरण और 6,500 किलोमीटर विद्युतीकरण करने की योजना है।
     इसके अलावा भारतीय रेल पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर (डीएफसी) के द्वारा क्षमता निर्माण के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाने जा रही है, जिससे 32.5 एक्‍सल लोड फ्राइट नेटवर्क की 3338 किलोमीटर लाइन और शामिल हो जाएगी। दोनों कॉरिडोर के निर्माण कार्य के लिए निविदाएं निकाली गई हैं और ठेके देने का कार्य प्रक्रिया के अधीन है। कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 76 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा हो चुका है और यह उम्‍मीद है कि इन दो महत्‍वपूर्ण मार्गों पर डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कार्य 2017 तक पूरा हो जाएगा। भारतीय रेल चार अन्‍य डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर की भी योजना बना रही है, जिसके लिए प्रारंभिक यातायात सर्वेक्षण कार्य किये जा रहे हैं।
     यातायात परिचालन के लिए की गई पहल में भारी संख्‍या में यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए 24 कोच गाडि़यां प्रसार, रख-रखाव कार्यक्रमों और कोच परिचालनों के युक्तिकरण के माध्‍यम से या‍त्री गाडि़यों के चक्‍करों में सुधार, सुरक्षा और यात्रियों के लिए आराम में बढ़ोतरी के लिए एंटि लाइन विशिष्‍टता वाले क्रैशवर्थी एलएचबी  डिब्‍बों की क्रमवार शुरूआत। अंतरशहरी यात्रा के लिए देश में ही डिजाइन की गई वातानुकूलित डबलडेकर कोच ट्रेन की शुरूआत और अतिरिक्‍त कोचिंग टर्मिनलों का निर्माण और विकास शामिल है।
    यात्रियों के अनुकूल की गई पहल में निम्‍नलिखित शामिल हैं -
·            यात्री डिब्‍बों की गहन यांत्रिक सफाई के लिए 115 कोच रख-रखाव डिपो की पहचान, 91 डिपो में यह पहले ही लागू की जा चुकी है।
·            राजधानी, शताब्‍दी और दुरन्‍तो सहित 538 रेलगाडि़यों में ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सेवाओं (ओबीएचएस) की शुरूआत यह योजना 336 रेलगाडि़यों में लागू की जा चुकी है।
·            चुनिन्‍दा पहचान की गई रेलगाडि़यों के लिए शौचालयों, डूरवेज़, गलियारों के विसंक्रमण के लिए यांत्रिक सफाई पर ध्‍यान देने के लिए क्‍लीन ट्रेन स्‍टेशनों को नामांकित करना।
·            यात्रियों के लिए साफ और स्‍वच्‍छ बेडरोल्‍स की आपूर्ति सु‍निश्चित करने के लिए 55 स्‍थानों (19 पहले से ही कार्यरत) पर यंत्रीकृत लॉन्ड्रियों की स्‍थापना।
·             9 रैक की 504 यूनिटों में पायलट परियोजना के रूप में जैव शौचालयों को शुरू करना।
अन्‍य या‍त्री सुविधा के उपायों में निम्‍नलिखित शामिल हैं -
·            आ‍रक्षित सीट के लिए ई-टिकट प्रणाली की प्रगामी व्‍यवस्‍था, जिसके लिए ''नेक्‍स्‍ट जनरेशन ई-टिक्टिंग सिस्‍टम'' लागू किया जा रहा है, जिसकी क्षमता 7,200 टिकट प्रति मिनट और एक ही समय 1.2 लाख उपयोगकर्ताओं की सहायता करने की है, जबकि वर्तमान में यह क्षमता क्रमश: 2,000 टिकट प्रति मिनट और एक ही समय 40,000 उपयोगकर्ताओं की सहायता करने की है।
·            रियल टाइम सूचना प्रणाली (आरटीआईएस) के अधीन अधिक से अधिक ट्रेनों को शामिल किया जाना, जिससे पूछताछ/ मोबाइल फोन के माध्‍यम से या‍त्री गाडि़यों की गतिविधि की ठीक-ठीक स्थि‍ति की जानकारी दी जा सकेगी।
·            अनेक रेलगाडि़यों में नि:शुल्‍क वाई-फाई सुविधाओं का प्रावधान।
·            ए वन श्रेणी के और अन्‍य प्रमुख स्‍टेशनों पर 179 स्‍केलेटर और 400 लिफ्ट लगाए जाने का प्रावधान है।
·            तत्‍काल योजनाओं सहित टिकट रिजर्व कराने में गडबड़ी को रोकने के लिए क्रियात्‍मक कदम, जिसमें बुकिंग समय को तर्कसंगत बनाने और सभी आरक्षित श्रेणियों के लिए पहचान का सबूत दिखाना के प्रावधान शामिल है।            
   क्षमता विस्‍तार तथा आधुनिकीकरण संबंधी पहल सुरक्षा की चिंता के साथ होनी चाहिए। इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए भारतीय रेल ने 2003-13 के लिए कारपोरेट सुरक्षा योजना तैयार की थी। इसके तहत भारतीय रेल ने बड़े पैमाने पर ट्रैक नवीकरण, पुलों को फिर से बनाने, ट्रैक की देखभाल के मशीनीकरण, वैगन/कोच में उन्‍नत टेक्‍नोलॉजी लगाने तथा सिग्‍नल प्रणाली को उन्‍नत बनाने की योजना थी। 9166 किलोमीटर से ऊपर ट्रैक नवीकरण हुआ तथा 6218 पुलों को ठीक किया गया। कुल ट्रैक के 55 प्रतिशत हिस्‍से को मैकेनीक मेन्‍टनन्‍स व्‍यवस्‍था के अंतर्गत लाया गया, जबकि 2003-4 में यह काम 35 प्रतिशत हुआ था। सिग्‍नल प्रणाली को तेजी के साथ उन्‍नत बनाने से सुर‍क्षा व्‍यवस्‍था में योगदान हुआ है। इन पहलों से पिछले वर्षों में दुर्घटना की संख्‍या में कमी आई है।

   हालांकि भारतीय रेल का प्रस्‍ताव शून्‍य दुर्घटना व्‍यवस्‍था की ओर बढ़ना है। यह संतोष की बात है कि माल ढुलाई दर और यात्री भाड़ा शुल्‍क में बढ़ोतरी हुई है। अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुसार पर मिलियन ट्रेन किलोमीटर की दर से रेल दुर्घटना 2003-4 के 0.44 से घटकर 2012-13 के अंत में 0.13 हो गई। इस तरह 2003-4 की कारर्पोरेट सुरक्षा योजना में निर्धारित 0.17 के लक्ष्‍य की दर पार कर गई।

    राज्‍यों में रेल अवसंरचना बनाने की जिम्‍मेदारी के मामले में राज्‍य सरकारों/केन्‍द्रीय सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों का रूख सकारात्‍मक रहा है। अभी दस राज्‍य 35 नई लाइनें बिछाने, 33 हजार करोड़ रूपए की कुल लागत से 4761 किलोमीटर लाइनों के दोहरीकरण और परिवर्तन में लागत साझा कर रहे हैं। अ‍ब तक 5000 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं। इसी तरह सार्वजनिक प्रतिष्‍ठान भी आगे आ रहे हैं। एनएमडीसी ने 150 किलोमीटर लम्‍बी जगदलपुर-किरनदुल रेल संपर्क परियोजना में निवेश किया है। इसकी लागत 827 करोड़ रूपए आएगी। इस एसईसीएल तथा इरकॉन छत्‍तीसगढ़ में राज्‍य सरकार के साथ मिलकर 4000 करोड़ रूपए की दो परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। ओडि़शा तथा झारखंड के खदान क्षेत्रों में रेल संपर्क सुधारने के लिए कोल इंडिया 2000 करोड़ रूपए की परियोजना में धन लगा रहा है।

   लगभग डेढ़ दशक से रेल की वित्‍तीय हालत दबाव में है। 1997-98 से लेकर 2011-12 के बीच 2005-6 से 2007-8 की तीन वर्ष की अवधि को छोड़कर भारतीय रेल का संचालन अनुपात 90 प्रतिशत से ऊपर रहा है। 2009-10 के पहले के तीन सालों में स्थिति गंभीर रही है, क्‍योंकि लागत का दबाव बढ़ा है, खासकर मानव शक्ति को लेकर तथा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण पेंशन संबंधी वचनबद्धता लागू करने को लेकर। परिणामस्‍वरूप कामकाजी खर्च बढ़ा है और उस खर्च के अनुपात में आवश्‍यक कदमों को लेकर राजस्‍व की भरपाई नहीं हुई है। इनमें माल भाड़ा तथा यात्री भाड़ा को तर्कसंगत बनाना, ईंधन की बढ़ी कीमत को थामने के लिए ईंधन समायोजन उपाय लागू करने, नया ऋण सेवा कोष बनाने, आवश्‍यक जरूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने, अवसंरचना निर्माण के लिए वैकल्पिक धनपोषण व्‍यवस्‍था करने तथा मजबूत वित्‍तीय अनुशासन शामिल हैं। इन उपायों से 31.03.2014 तक 12 हजार करोड़ रूपए तक बचत होने का अनुमान है तथा इससे 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 30 हजार करोड़ रूपए के लक्ष्‍य को हासिल करने का मार्ग प्रशस्‍त होगा।

   भारतीय रेल के पिछले 160 वर्षों के इतिहास में इसका प्रदर्शन सफलतापूर्वक रहा है और आगे भी जारी रहेगा। (पसूका फीचर)
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इन्‍पुट्स रेल मंत्रालय
पूरी सूची - 16-08-13
इ-अहमद/इन्‍द्रपाल/गांधी/शौकत/यशोदा-161

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