Sunday, February 24, 2013

सतत् अपशिष्ट प्रबंधन की एक कहानी

06-फरवरी-2013 15:34 IST
रेलवे प्लेटफार्म के निर्माण में शहरी ठोस अपशिष्ट का प्रयोग 
स्‍वच्‍छता:विशेष लेख:                                               * एम. जैकब अब्राहम
                                                                 File Photo of  Beas Rly Station by Rector Kathuria
तिरुवनंतपुरम शहर में ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन संकट के प्रभावी समाधान के उद्देश्‍य से भारतीय रेल ने केरल सरकार के सुचितवा मिशन के साथ सहयोग किया है। राज्‍य की राजधानी में शहरी अपशिष्‍ट निपटान उस समय राष्‍ट्रीय मीडिया के सुर्खियों में आया, जब नज़दीक की विलाप्पिलसाला पंचायत में प्रस्‍तावित अपशिष्‍ट शोधन संयंत्र के विरोध में लोगों ने अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया।
     इस संदर्भ में सुचितवा मिशन और दक्षिण रेलवे द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है। 
     मुरूक्‍कुमपुझा रेलवे स्‍टेशन का 40 मीटर लंबा तथा 6 मीटर प्‍लेटफॉर्म इस प्रयास का एक उदाहरण है। दक्षिण रेलवे द्वारा निर्मित इस प्‍लेटफॉर्म में इस राज्‍य की राजधानी शहर से एकत्रित अपशिष्‍ट का प्रयोग किया गया है। यह नवनिर्मित रेलवे प्‍लेटफॉर्म देश में रेल नेटवर्क पर स्‍थापित इस तरह का पहला प्‍लेटफॉर्म है, जहां शहरी ठोस अपशिष्‍ट का प्रयोग भूमि-भराव के रूप में किया गया है। राज्‍य और रेलवे के बीच एक करार के तहत शहरी कूड़ा- कर्कट का प्रयोग भूमि -भराव में किया जाता है। इस करार के तहत आवश्‍यक कचरा    तिरूवनन्‍तपुरम नगर निगम द्वारा उपलब्‍ध कराया गया। जैविक रूप से नष्‍ट नहीं होले वाले लगभग 600 टन कचरे का प्रयोग मुरूक्‍कुमपुझा रेलवे स्‍टेशन के प्‍लेटफॉर्म-2 के निर्माण में प्रयोग किया गया। रंगीन इंटरलॉकिंग टाइल्‍स से निर्मित इस प्‍लेटफॉर्म के अंदर प्रयोग किये गए कचरे का जरा सा भी पता नहीं चलता। इस प्‍लेटफॉर्म का निर्माण 540 मीटर लंबाई तक किया जाना था, लेकिन स्‍थानीय लोगों द्वारा भराव के लिए कचरे के प्रयोग के विरोध के कारण 40 मीटर लंबाई तक ही कार्य पूरा किया जा सका।
     पर्यावरण की सुरक्षा तथा प्रदूषण के अंदर भूमि में पहुंचने और उससे संभावित भू-जल को प्रदूषित होने से रोकने में भराव क्षेत्र सबसे सुरक्षित और आधुनिक विधि समझा जाता है। नगर पालिका ठोस अपशिष्‍ट भूमि भराव में सि‍न्‍थेटिक लाइन में प्‍लास्टिक का प्रयोग भराव क्षेत्र को एक-दूसरे से अलग करने में किया जाता है। अमरीका में उत्‍पादित अपशिष्‍ट के लगभग 55 प्रतिशत का प्रयोग भूमि भराव में किया जाता है, जबकि ब्रिटेन में लगभग 90 प्रतिशत अपशिष्‍ट का निपटान इस तरीके से किया जाता है।
     निर्माण प्रक्रिया में मोटे प्‍लास्टिक की चादर का प्रयोग चिन्हित स्‍थल तथा कचरे और भूमि की परत के बीच किया जाता है, जो 30 सेंटीमीटर तक फैला होता है। प्रत्‍येक बार इस फैलाव को रोलर द्वारा दबाया जाता है। जब यह फैलाव आवश्‍यक ऊंचाई पर पहुंच जाता है, तो उस पर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है। सौंदर्यीकरण की दृष्टि से ऊपरी हिस्‍से पर कॉबल पत्‍थर या इंटरलॉकिंग टाइल्‍स लगाई जाती है। भराव के लिए कचरे का प्रयोग कर रेलवे ने निर्माण प्रक्रिया में दस लाख रुपये की बचत की। इस नये प्रयोग के लिए स्‍थानीय लोगों का सहयोग मिलने पर दक्षिण रेलवे प्‍लेटफॉर्म के शेष बचे 500 मीटर निर्माण कार्य के लिए तैयार हैं।
     मुरूक्‍कुमपुझा प्‍लेटफॉर्म में सफल निर्माण कार्य के बाद दक्षिण रेलवे का तिरूवनन्‍तपुरम रेलवे डीविजन आगे चलकर नजदीकी रेलवे स्‍टेशन कोचुवेली में भी इसी तकनीक का प्रयोग कर प्‍लेटफॉर्म के निर्माण की योजना तैयार की है। कोचुवेली में निर्मित किये जाने वाले प्‍लेटफॉर्म का आकार 540 मीटर लंबा और 5.5 मीटर चौड़ा है। यदि स्‍थानीय लोग इस प्रयोग में सहयोग करते हैं, तो दक्षिण रेलवे की केरल -तमिलनाडु सीमा पर स्थित परसाला स्‍टेशन पर भी प्‍लेटफॉर्म विस्तार की योजना है।  सुचितवा मिशन के अनुसार, भूमि- भराव के लिए शहरी अपशिष्‍ट का प्रयोग अपशिष्‍ट निपटान के लिए पूर्णत: सुरक्षित तरीका है, जिससे पारिस्‍थितिकी और पर्यावरण का भी संरक्षण होता है। (PIB)


* उप निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय, तिरूवनन्‍तपुरम
वि. कासोटिया/आनन्‍द/इन्‍द्रपाल/शौकत - 38

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