Wednesday, January 30, 2013

वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों का विकास

30-जनवरी-2013 12:58 IST
1975 में की गई थी भारत में डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत
विशेष लेख                                                                    रेल एच सी कुंवर* 
   भारत में डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत 1975 में की गई थी। उस समय इसका उद्देश्‍य कम दूरी की यात्री गाडियों में ज्‍यादा यात्रियों को ढोना था। भारतीय रेल के इस प्राथमिक लक्ष्‍य को तो प्राप्‍त कर लिया गया लेकिन ये गैर वातानुकूलित ट्रेन यात्रियों के बीच बहुत अधिक पसंद नहीं की गई। इसका प्रमुख कारण निचले स्‍तर से धुएं का प्रवेश और प्‍लेटफार्म स्‍तर की ऊँचाई पर बाहर के दृश्‍यों का न दिख पाना था। इस कारण भारतीय रेल में गैर वातानुकूलित ट्रेनों के विकास को और अधिक अनुकरित नहीं किया गया।
   अपने लंबे अनुभवों के साथ भारतीय रेल ने फिर एक बार डबल डेकर ट्रेनों को प्रारंभ् करने की योजना बनाई जिसमें गैर वातानुकूलित डब्‍बों में आ रही समस्‍याओं को वातानुकूलित रूप में दूर किया जा सके। रेल मंत्री ने वर्ष 2009 के रेल बजट में वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत की घोषणा की।
   मौजूदा स्‍थाई ढांचों जैसे रोड ओवर ब्रिज, फुट ओवर ब्रिज और बिजली की लाइनों आदि को ध्‍यान में रखते हुए बिना ऊँचाई बढाये डबल डेकर ट्रेनों का विकास करना एक बडी चुनौती थी। इसके साथ ही वातानुकूलित उपकरणों और एयर डक्‍ट को भी उपलब्‍ध जगह में ही समाने की समस्‍या थी।
   इन चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय रेल के डिजाईन इंजीनियरों ने प्रत्‍येक कोच में और ज्‍यादा कोच और पूर्णता घरेलू स्‍तर पर ही इसके विकास की प्रक्रिया शुरू करी। उनकी कार्यकुशलता तब साबित हुई जब भारतीय रेल की एक उत्‍पादन ईकाई रेल कोच फैक्‍ट्री कपूरथला ने सिर्फ 9 महीने के रिकार्ड समय में पहला प्रोटो टाईप वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन को तैयार कर लिया। सभी आवश्‍यक परीक्षणों को पूर्ण करने के बाद अक्‍तूबर 2011 में हावडा और धनबाद के बीच पहली वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन की शुरूआत की गई।
   इस ट्रेन के एक उन्‍नत संस्‍करण का विकास कर जयपुर और दिल्‍ली तथा अहमदाबाद और मुम्‍बई के बीच इसकी सेवाएं प्रारंभ की गई। निकट भविष्‍य में हबीब गंज-इंदौर और चैन्‍नई-बंगलौर के बीच भी ऐसी सेवा प्रारंभ करने की योजना है। यात्रियों के अनुकूल डिजाईन के साथ वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन प्रत्‍येक कोच में 120 यात्रियों को ले जा सकती है जो शताब्‍दी चेयर कार के 78 यात्रियों से तुलना करने पर 50 फीसदी अधिक है। अपने कम किराये के कारण वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों ने वातानुकूलित सफर का आनंद कई इच्‍छुक यात्रियों को दिलाने में सफल रही हैं और इस कारण यात्रियों के बीच बेहद पसंद की जा रही है।
   इन नई वातानुकूलित डिब्‍बों में कई तकनीकी खूबियां जैसे हल्‍के वज़न वाली स्‍टेनलेस स्‍टील बॉडी और आंखों को मोहने वाली भीतरी साज सज्‍जा हैं। एयर स्प्रिंग के साथ यूरो फिल्‍मा डिजाईन के डिब्‍बे से यात्रियों को सफर में बेहतर आराम मिलता है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक-दूसरे के ऊपर न चढने वाले  और दुर्घटना की स्थिति में इसको वहन करने वाले डिब्‍बे भी प्रदान किये गये हैं। इन डिजाईन के कारण प्रति या‍त्री ट्रेन पर कम भार पडता है जिससे वो उच्‍च ऊर्जा क्षमता वाले बन गये हैं।
   दो डिब्‍बों के बीच की दीवारों के स्‍थान का अधिकतम इस्‍तेमाल कर दोनों स्‍तरों के लिए स्‍थान का प्रबंध किया गया है। जिससे डिब्‍बों की कुल ऊँचाई सिर्फ 4.5 इंच बढी है। इन डिब्‍बों के विकास प्रक्रिया के दौरान नवीनतम डिजाईन सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया गया और वा‍स्‍तविक उत्‍पादन शुरू करने से पहले प्रोटो टाइपिंग कर इसकी जांच की गई।
वातानुकूलित डबल डेकर डिब्‍बों के सफल विकास से भारतीय रेल ने तकनीकी विकास में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इससे रेलवे ने तीव्र गति से बढ रहे देश की आशाओं को परिपूर्ण करने की प्रतिबद्धता दोहराई है।(PIB)      (पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)
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* उप-निदेशक (मीडिया एवं दूरसंचार), रेल मंत्रालय
मीणा/जुयाल/चन्‍द्रकला  – 30
एचडीएचओ –

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